रामकुमार भ्रमर की रचनाओं में अक्सर भारतीय संस्कृति, समाज, और मानवीय संवेदनाओं की गहरी अंतर्दृष्टि मिलती है। पुतली बाई शीर्षक से ज्ञात होता है कि यह उपन्यास एक प्रतीकात्मक महिला पात्र, ‘पुतली बाई’, के इर्द-गिर्द बुना गया हो सकता है—जिसके माध्यम से लेखक भारतीय पारिवारिक या सामाजिक पीढ़ियों की कहानियों को उजागर करते हैं। इसमें पात्र की आंतरिक यात्रा, उसकी संवेदनाएँ और समय, समाज में उसके स्थान को भांपने की ताक परख हो सकती है। उपन्यास में संभवतः उसकी इच्छाएँ, संघर्ष और आत्म-खोज की प्रक्रिया दर्शायी गई हो, जैसा भ्रमर के अन्य सामाजिक व सांस्कृतिक उपन्यासों में देखने को मिलता है । हालाँकि कथा-विवरण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह महत्त्वपूर्ण भारतीय जीवन-दर्शन एवं महिला रूपकों से जुड़ा बहुआयामी उपन्यास लगता है।
About the Author
रामकुमार भ्रमर का जन्म ग्वालियर, मध्यप्रदेश में 2 फरवरी 1938 को हुआ। वे हिंदी साहित्य के एक बहुमुखी लेखक थे—जिनकी लेखनी में राष्ट्रवादी दृष्टिकोण, सामाजिक वैविध्य और सांस्कृतिक मूल्यों की प्रखर व्याख्या होती थी। पत्रकारिता से साहित्य की ओर आए भ्रमर ने लगभग 50 उपन्यास लिखे, जिनमें कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाए गए और उन पर शोध कार्य भी हुए। उन्हें दो बार ‘अखिल भारतीय प्रेमचंद पुरस्कार’ (उत्तरप्रदेश शासन द्वारा) से सम्मानित किया गया था। उनकी कहानियाँ और उपन्यास भारतीय भाषाओं में अनूदित हुए और उनपर फिल्म/टीवी धारावाहिक भी बनाए गए । 1998 में उनका निधन हुआ, लेकिन साहित्य में उनकी सादगी, समाज-चिंतन और राष्ट्रप्रेम की लिखावट आज भी पाठकों और शोधार्थियों के लिए प्रेरणादायी है।
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