'मैं वाहेगुरु जी का खालसा हूं। मैं गुरां दा सिंह हूं। मैं बादलों की तरह गरजूंगा और उतनी ही बुलंद आवाज में अपना क़हर दुश्मनों पर नाजिल करूंगा। मेरी ललकार बैरियों का वजूद थरथरा देगी। मेरी चीत्कार शोले बनकर उनकी औकात पर बरसेगी।''
'मैं वाहेगुरु जी का खालसा हूं। मैं गुरां दा सिंह हूं। मैं बादलों की तरह गरजूंगा और उतनी ही बुलंद आवाज में अपना क़हर दुश्मनों पर नाजिल करूंगा। मेरी ललकार बैरियों का वजूद थरथरा देगी। मेरी चीत्कार शोले बनकर उनकी औकात पर बरसेगी।''
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