राम चंद्र श्रृंखला की दूसरी किताब सीता: मिथिला की योद्धा। एक रोमांच जो एक दत्तक बच्ची के प्रधानमंत्री बनने की कहानी दर्ज करता है। और फिर देवी बनने की।
3400 ईसा पूर्व भारत मतभेदों, असंतोष और निर्धनता से घिरा था और उस दौर में जनता अपने शासकों से नफरत करती थी। बाहरी लोगों ने इस मतभेद का फायदा उठाया। लंका के राक्षस राजा, रावण ने शक्तिशाली होते हुए अपने जहरीले दांत बेबस सप्तसिंधु में और गहरे गड़ा दिए थे। उधर मैदान में एक अनाथ बच्ची मिलती है। गिद्ध द्वारा संरक्षित और खूनी भेड़ियों में घिरी हुई। उसे शक्तिहीन और उपेक्षित साम्राज्य, मिथिला के शासक गोद लेते हैं। किसी को नहीं लगा था कि वो बच्ची कुछ कर पाएगी। लेकिन वो गलत साबित हुए। वो कोई साधारण लड़की नहीं थी। वो थी सीता।
मौलिक और रोमांचक... अमीश की ये किताब चेतना को गहराई तक झकझोर देती हैं। —दीपक चोपड़ा