यह परिवार की इज़्ज़त के नाम पर मनोज और बबली की हत्या और उस के बाद की घटनाओं की सच्ची कहानी है। गहन शोध के बाद लिखी इस किताब में चन्दर सुता डोगरा ने इस जोड़ी द्वारा एक ही गोत्र में विवाह के निषेध का नियम तोड़ कर भाग निकलने से लेकर लड़की के परिवार द्वारा उन्हें धर-दबोच कर उन से पाशविक क्रूरता करने और उनके शवों को नहर में फेंक देने तक की घटनाओं की पुनर्रचना की है। चुप्पी साध कर इस कृत्य से सहमति जताते हुए, गांव के लोग मनोज और बबली की अंत्येष्टि में शामिल नहीं हुए; मामले की तफ्तीश में स्थानीय पुलिस और अन्य एजेन्सियों की ढील किसी मौन सहमति का संकेत देती है।