काराकालयअनुवाद है। इस उपन्यास में एक ऐसी म्वी को उकेरा गया है जो आव कुँवारी रहती है। पिता के इथ-पत्र में संस्नेहो उसके अविवाहित होने का कारण बनता है और आने वाले सभी सवालों की उसके भाइयों द्वारा अस्वीकृमें यह परद्वार सोड़कर अकेले साने लगती है। यह है और वह उसके प्रति को दूर के एक रिश्ते के करीब लाता है।
में कई चरित्रों को हातिको देती हैं। इस उपन्यास में देह और मन के समीकरण और उसकी संवेदना को बड़े ही सूक्ष्म और प्रस्तुत किया गया है। हिंदी तक जगत को यह उपन्यास अवश्य पसंद आएगा, ऐसी आशा है।
कानीरा गिरि (काठमांडू नेठानी भाषा को सम्मलि नेवार से रेफरीषपाधिप्राप्त पहली महिला