![Aadha Hai Chandrama [hindi]](http://bestofusedbooks.com/cdn/shop/files/1_636eef04-0e02-4a5b-9413-f9fc6fc2045b_{width}x.jpg?v=1736941695)
मैंने रेणु गुप्ता की सात-आठ लघुकथाएँ एक सांस में पढ़ डालीं। अगर दरवाजे पर घंटी नहीं बजी होती, तो मैं और भी पढ़ डालता। बहरहाल बाद में मैंने उनकी सारी लघुकथाएँ पढ़ी, और मैं उनमें से कुछ पर प्रतिक्रिया देने से स्वयं को नहीं रोक पा रहा हूं।
सारी लघुकथाएँ बेहतरीन हैं। उन सबके विषय भिन्न हैं। उनकी ख़ासियत यह है कि लगभग सभी गहन सामाजिक नागरुकता के साथ भावप्रधान हैं और मर्म को छूने वाली हैं।
मैं उन्हें हृदय से बधाई देता हूँ, कि वह अपने सौंधे अहसासों में छिपी हुई भारी भरकम सोच को सतत जनमानस तक पहुंचा रही हैं, जो परिवार, समाज और रिश्तों नातों में बैठी हुई विसंगतियों के प्रतिक्रियास्वरूप उनमें आत्मग्लानि का भाव तो लाये, लेकिन उसको इच्छा भर कम भी कर दे।